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आर्थिक एवं साइबर अपराध में बैंकों की भूमिका

18 August 2022

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आर्थिक एवं साइबर अपराध में बैंकों की भूमिका


पिछले कुछ समय से भारत आर्थिक और साइबर अपराधों में भारी नुकसान उठा रहा है। जीएसटी के फर्जी इनपुट क्लेम से लेकर क्रिप्टो करेंसी और शेयर बाजार में फर्जी खातों का उपयोग हो रहा है। इसमें बैंक कर्मचारियों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

आरबीआई के सर्कुलर और सुझाव

आरबीआई को सभी बैंकों के बचत खातों की पुनः केवाईसी सुनिश्चित करनी चाहिए। साथ ही, खाताधारक और खाता खोलने वाले बैंक कर्मचारी की पहचान को खाते से लिंक किया जाना चाहिए। इससे किसी भी फर्जी खाते की पहचान करने में आसानी होगी और बैंक कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच हो सकेगी। आरबीआई के पुराने सर्कुलर के अनुसार बचत खातों में रोजाना ₹20000 ऊपर के डिपॉजिट या विड्रोल कैश नहीं होगी पूरे महीने में ₹100000 से ऊपर का ट्रांजैक्शन नहीं होगा पूरे साल में 10 लाख रुपए से ज्यादा की ट्रांजैक्शन नहीं होगी।

आरबीआई के नियमों के अनुसार

सारांश: आरबीआई ने बैंकों को यह निर्देश दिया है कि वे ग्राहकों की पहचान प्रक्रिया को सख्त बनाएं और केवाईसी (KYC) मानकों का पालन सुनिश्चित करें। यह सर्कुलर बैंकों को किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता लगाने और उसकी रिपोर्ट करने के लिए विशेष रूप से निर्देशित करता है।

सारांश: आरबीआई ने बैंकों को सभी बचत खातों में प्रति दिन ₹50,000 से अधिक के कैश ट्रांजैक्शन की रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। यह सर्कुलर किसी भी अवैध वित्तीय गतिविधि की पहचान करने और उसकी रोकथाम के लिए जारी किया गया था।

सारांश: आरबीआई ने बैंकों को निर्देशित किया कि वे किसी भी खाते में एक महीने में ₹1,00,000 से अधिक के ट्रांजैक्शन पर निगरानी रखें। इसका उद्देश्य वित्तीय अपराधों की रोकथाम और संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाना था।

बैंकों की जिम्मेदारी

आरबीआई को निर्देश देना चाहिए कि किसी भी बड़े अमाउंट के जमा या विड्रोल की सूचना अपने कंट्रोल रूम और आयकर विभाग को तुरंत दी जाए। सेविंग बैंक खाते में ₹50,000 से अधिक कैश जमा होते ही उस खाते को होल्ड पर रखा जाए और खाताधारक से संपर्क किया जाए।

बैंक कर्मचारियों की भूमिका

आजकल कई बैंक कर्मचारी अस्थायी या ठेके पर कार्यरत होते हैं, जो अपने टारगेट पूरे करने के लिए छोटे लोगों के खाते खोलने में लालच देते हैं। यह कर्मचारी साइबर और आर्थिक अपराधियों के संपर्क में आ सकते हैं। ऐसे खातों का उपयोग अन्य व्यक्ति द्वारा किया जाता है, जिससे अपराध को अंजाम दिया जाता है।

कर्मचारियों की जांच और दंड

अगर किसी खाते में अनियमितता पाई जाती है, तो खाता खोलने वाले कर्मचारी और उस दिन कंप्यूटर पर काम कर रहे कर्मचारी के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाए। आरबीआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी एब्नार्मल अमाउंट के जमा या निकासी होने पर 72 घंटे के भीतर उसकी जांच हो और सही पाए जाने पर भी आयकर विभाग को सूचित किया जाए।

री-केवाईसी और आधार कार्ड का उपयोग

आरबीआई को पूरे भारत में री-केवाईसी सुनिश्चित करनी चाहिए और खाताधारकों के नवीनतम पते अपडेट करने चाहिए। किसी खाताधारक की 40 हजार रुपए महीने की ग्रॉस इनकम होने पर अगर अचानक 2 लाख रुपए जमा होते हैं, तो खाते को होल्ड कर दिया जाए। आधार कार्ड के बेसिस पर खोले गए सभी खातों को मर्ज किया जाए ताकि गड़बड़ी का पता चल सके।

सख्त दंड और प्रतिबंध

अगर किसी बैंक कर्मचारी की संलिप्तता पाई जाती है, तो उसे कम से कम दो से पांच साल तक किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान में कार्य करने से प्रतिबंधित किया जाए। आधार कार्ड को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाए और संबंधित व्यक्ति को बैंकिंग सुविधा से वंचित किया जाए।

इस प्रकार की सख्त कार्रवाई से आर्थिक और साइबर अपराधों में कमी आएगी और बैंकों की जिम्मेदारी सुनिश्चित होगी।

धन्यवाद,

सुनील दत्त गोयल
महानिदेशक
इम्पीरियल चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जयपुर, राजस्थान

suneelduttgoyal@gmail.com

Copy To:
Governor RBI
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Published in Business Remedies on 25 June, 2024.

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Rtn. Suneel Dutt Goyal


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